Tuesday, November 20, 2007

फिर मुस्कुराना चाहती हूँ

आज तुझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तुझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ ....

तेरी यादों के साये मी जीना चाहती हूँ
तेरी प्यार भरी बातों में खोना चाहती हूँ
तूझे अपनी बाहों में भरना चाहती हूँ
तेरी गोंद में सोना चाहती हूँ
आज तूझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तुझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ
सोचा न था रह पाऊँगी तुम्हारे बिन
जाना न था जी लोगो तुम मेरे बिन
फिर अजनबी बन जाएँगे हम-तुम
एक दुसरे से आँखें चुरायेंगे हम
आज तुझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तूझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ
निवेदिता शुक्ला

Monday, November 19, 2007

अजीब-अजीब सा प्यार

सुना-सुना दिन
प्यारा-प्यारा मन

सोंधी-सोंधी खुशबु
सिसकती-सिसकती सी शबनम

गुलाबी-गुलाबी बहार
अजीब-अजीब सा प्यार

चुप-चुप सी शाम
तड़पती-तड़पती रात

खोया-खोया आलम
बहका-बहका मोसम

dhundati हुई आँखें
झुकती हुई पलकें

क्या यही प्यार है
यही जीवन है ..

निवेदिता शुक्ला

प्यारी सी यादें

ज़िंदगी गुज़र रही है धीरे -धीरे
सब कुछ बदल रह है धीरे -धीरे
प्यार भी हो रहा है धीरे -धीरे
इकरार भी होगा धीरे -धीरे
मोसम भी बदलेगा धीरे -धीरे
अरमानों के फूल भी खिलेंगें धीरे-धीरे
चाहत के रंग भी उडेंगें धीरे-धीरे
हम एक भी होंगे धीरे -धीरे

लेकिन न गुज़री ये ज़िंदगी
न हुआ इकरार
न हुआ प्यार
न बदला या मोसम
न खिले अरमानों क फूल
न उडे चाहत के रंग
न हुए हम एक
तो क्या होगा ? रूक जाएगी ये ज़िंदगी, नही॥

सब कुछ चलेगा धीर-धीरे
हम बदल जाएँगे धीरे -धीरे
तुम बदल जाओगे धीरे- धीरे
दुनिया बदल जाएगी धीरे-धीरे
तमन्नाए बदल जाएगी धीरे-धीरे
मकसद बदल जाएगा धीरे-धीरे
इंसान बदल जाएगा धीरे-धीरे
संसार बदल जाएगा धीरे-धीरे
नही बदलेंगी तो वो धुंधली सी, प्यारी यादें....................

निवेदिता शुक्ला