ज़िंदगी गुज़र रही है धीरे -धीरे
सब कुछ बदल रह है धीरे -धीरे
प्यार भी हो रहा है धीरे -धीरे
इकरार भी होगा धीरे -धीरे
मोसम भी बदलेगा धीरे -धीरे
अरमानों के फूल भी खिलेंगें धीरे-धीरे
चाहत के रंग भी उडेंगें धीरे-धीरे
हम एक भी होंगे धीरे -धीरे
लेकिन न गुज़री ये ज़िंदगी
न हुआ इकरार
न हुआ प्यार
न बदला या मोसम
न खिले अरमानों क फूल
न उडे चाहत के रंग
न हुए हम एक
तो क्या होगा ? रूक जाएगी ये ज़िंदगी, नही॥
सब कुछ चलेगा धीर-धीरे
हम बदल जाएँगे धीरे -धीरे
तुम बदल जाओगे धीरे- धीरे
दुनिया बदल जाएगी धीरे-धीरे
तमन्नाए बदल जाएगी धीरे-धीरे
मकसद बदल जाएगा धीरे-धीरे
इंसान बदल जाएगा धीरे-धीरे
संसार बदल जाएगा धीरे-धीरे
नही बदलेंगी तो वो धुंधली सी, प्यारी यादें....................
निवेदिता शुक्ला
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment