Tuesday, November 20, 2007

फिर मुस्कुराना चाहती हूँ

आज तुझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तुझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ ....

तेरी यादों के साये मी जीना चाहती हूँ
तेरी प्यार भरी बातों में खोना चाहती हूँ
तूझे अपनी बाहों में भरना चाहती हूँ
तेरी गोंद में सोना चाहती हूँ
आज तूझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तुझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ
सोचा न था रह पाऊँगी तुम्हारे बिन
जाना न था जी लोगो तुम मेरे बिन
फिर अजनबी बन जाएँगे हम-तुम
एक दुसरे से आँखें चुरायेंगे हम
आज तुझे याद कर आंसू गिरना चाहती हूँ
आज तूझे भी दो पल याद आना चाहती हूँ
आज मैं फिर मुस्कुराना चाहती हूँ
निवेदिता शुक्ला

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